असम में क्यों सड़क पर उतरे 30 संगठन

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असम में क्यों सड़क पर उतरे 30 संगठन

असम के मुख्यमंत्री ने कल विधानसभा में कहा था कांग्रेसियों को जितना चिल्लाना और चीखना है वह कर ले असम को मियां भूमि नहीं बनने दूंगा इस बयान की इमारत क्षमता को समझे क्योंकि असम में मियां समुदाय वाले मुसलमान की भी अच्छी खासी संख्या है ऐसे में राजनीति ना हो यह संभव है दूसरी पार्टियों के नेता असम की भाजपा सरकार पर कटाक्ष कर रहे हैं हेमंत सरकार को मुस्लिम विरोधी बता रहे हैं वह सड़क पर उतरकर बड़े विरोध प्रदर्शन की तैयारी करें आज असम के कई क्षेत्रों में इस प्रदर्शन का असर भी देखने को मिला यहां पर आपको यह बता दे असम में इन लेकिन मियां मुस्लिम वाला विवाद एक रेप कांड के बाद मुद्दा बन गया।

असम में क्यों सड़क पर उतरे 30 संगठन

क्योंकि पिछले चार दिनों में बच्चों और महिलाओं से यौन शोषण और छेड़छाड़ की 5 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी है और सबसे चिंता की बात तो यह है कि कई मामलों में आरोपी बांग्लादेशी मुसलमान या फिर मियां मुसलमान ने किया स्थानीय लोगों ने इसे असम की अस्मिता का मुद्दा बना लिया ऊपरी असम के 10 दिनों में मियां मुसलमान और गैर असली लोगों के खिलाफ 30 संगठन है जो सड़क पर वह घर-घर जाकर दस्तक दे रहे हैं सिर्फ यही नहीं शनिवार तक मियां मुसलमान को असम छोड़ने की धमकी भी दे रहे हैं वीर लक सेवा के साथ 30 संगठनों के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे हैं इन स्थानीय मुस्लिम संगठन ऊपरी असम मुस्लिम कल्याण परिषद असम सम्मिलित मुस्लिम परिषद भी शामिल है।

जुमें की नमाज के ब्रेक पर हिमंता ने लगाया ब्रेक

असम की विधानसभा में हर शुक्रवार को जुमे की नमाज के लिए 2 घंटे का ब्रेक दिया जाता था अब उसे खत्म कर दिया गया है असेंबली के कार्रवाई को रोका नहीं जाएगा स्पीकर विश्वजीत डेमारी की अध्यक्षता वाली विधानसभा की रस कमेटी ने जुमे की नमाज का ब्रेक खत्म करने का फैसला किया आज शुक्रवार है और पुराने नियम के मुताबिक आज जुमे के नमाज के लिए दोपहर में विधानसभा के कार्रवाई में 2 घंटे का ब्रेक दिया गया लेकिन कहा गया की आखिरी मौका था आगे से ऐसा नहीं होगा हेमंता विश्व शर्मा ने कहा 2 घंटे का ब्रेक खत्म करके असम विधानसभा ने शानदार फैसला लिया है कि हेमंता ने कहा कि आज असम को अंग्रेजी हुकूमत के एक और नियम से आजादी मिल गई ।


लेकिन बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ने स्पीकर के फैसले का तीखा विरोध किया या यूडीएफ के विधायक रफीकुल इस्लाम ने कहा कि हेमंता सिर्फ मुसलमान को किसी भी हद तक जाकर परेशान करना चाहते हैं और यह ठीक नहीं है रफीकुल इस्लाम ने कहा कि मुसलमान के खानपान पहनावे के बाद अब नमाज पर भी रोक लगाने की कोशिश हो रही है इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
फैसला असम के असेंबली में हुआ लेकिन इसका असर बिहार और उत्तर प्रदेश तक दिखाई दिया समाजवादी पार्टी और RJD ने कहा मुसलमान को परेशान करने की बीजेपी की नई तरकीब बता दिया तेजस्वी यादव ने कहा कि बीजेपी मुसलमान के पीछे पड़ गई है मुसलमान को हर तरफ से टारगेट कर रही है तेजस्व ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए मुसलमान विरोधी बातें करते हैं लेकिन जब तक आरजेडी है मुसलमान का हक कोई नहीं छीन सकता तेजस्वी ने इस मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।

जुमें की नमाज के ब्रेक पर हिमंता ने लगाया ब्रेक


असम विधानसभा में जुम्मे के नमाज के लिए 2 घंटे की छुट्टी 87 साल से चली आ रही थी 1937 में असम के पहले मुख्यमंत्री सैयद सादुल्लाह ने विधानसभा में जुमे की नमाज का ब्रेक शुरू किया था लेकिन वक्त के हिसाब से रुल बदलते हैं और जुम्मे के नमाज के लिए छुट्टी को सरकार ने नहीं असेंबली के रुल सरकार ने नहीं असेंबली की रूल्स कमेटी ने खत्म किया है इस कमेटी में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी और दूसरी पार्टी के मुस्लिम विधायक भी शामिल थे सब ने मिलकर फैसला किया इसलिए मुख्यमंत्री हेमंत विश्व शर्मा को दोष देना तो ठीक नहीं होगा क्योंकि हेमंता बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने की वही चला रहे हैं उन्होंने कई असेंबली में कानून पास करवा के असम में मुस्लिम लड़कियों की शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया है इसीलिए अब स्पीकर के फैसले को भी हेमंता के मुस्लिम विरोधी कदम के तौर पर देखा जा रहा है हेमंता इसका कोई जवाब नहीं दे रहे क्योंकि उनकी सियासत को इल्जाम सूट करता है।

जुम्मे की नमाज में कितने घंटे का ब्रेक होता था

जुम्मे की नमाज में 2 घंटे का ब्रेक होता था

असम में कितने संगठन सड़क पर उतरे हैं

असम में 30 संगठन सड़क पर उतरे हैं

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